दोस्तों शिव महापुराण में बताया गया है की , पांच मुखी रुद्राक्ष को रूद्र स्वरुप माना जाता है , इसको सभी राशियों वाले प्राणी व जनम नक्षत्र , जनम लगन सभी प्रकार की राशियों वाले प्राणी धारण कर सकते है , पांच मुखी रुद्राक्ष को रूद्र यानि भगवन शिव के द्वारा सिद्ध बताया गया है। इस रुद्राक्ष में भगवन शिव के पांच मुख दिखाई देते है। जिसके आधार पर जल, भूमि , वायु, अग्नि और आकाश की तुलना की जाती है।
इसलिए इस रुद्राक्ष को कोई भी राशि वाला व्यक्ति पहन सकता है। यह रुद्राक्ष सभी राशियों वाले व्यक्ति के जीवन में महत्व देता है।
इस रुद्राक्ष में भगवन शिव की शक्ति समाहित होती है और यह सबसे अधिक लाभदायक होता है।
पांच मुखी रुद्राक्ष को ज्यादा से ज्यादा लोग धारण करते है।
पांच मुखी रुद्राक्ष ब्रह्स्पति गृह से जुड़ा हुआ है। जो सभी लोगो को सुख समृद्धि और ज्ञान समानता व सफलता का गौरव मन जाता है। जिसके जनम कुंडली में विफलता हो तो उस व्यक्ति को यह पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाइये।
जिस व्यक्ति की राशि में मांगलिकता का सवरूप हो उसे तो यह पांच मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाइये।
गुर्दे सम्बंदित जानकारी आंख ,नाक, गाला और जर्बी बढ़ना , ये सब बीमारी हो जाती है। इन सभी बीमारियों से बचने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाइये। इस रुद्राक्ष को ब्रह्स्पति का देव मन जाता है. ब्रह्स्पति यानि गुरुदेव का भगत मन जाता है।
इस से व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं आती है। इस रुद्राक्ष के धारण करने से माँ पारवती समेत सभी देवी देवता खुश होते है।
विद्या की प्राप्ति के लिए यह रुद्राक्ष मुख्या बताया गया है। विद्या प्राप्त करने वाले व्यक्ति को यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाइये। इस से विद्या रूपी ज्ञान प्राप्त होता है।
पांच मुखी रुद्राक्ष किस प्रकार की बीमारी नहीं होने देता है। इसमें बीमारी नस्ट करने की असीम छमता पायी जाती है। इसको धारण करने से सरीर में पाए जाने वाले सभी रोगो से मुक्त हो जाते है।
व्यवहिक जीवन में कठिनाई हो या शादी सुदा होने के बाद भी एक दूसरे से अलग हो जाते है। उन लोगो को यह रुद्राक्ष धारण करना चाइये। इसके धारण करने से विवाहित जीवन में सुख और शांति बनाये रखता है।
प्रेम विवाह करने वाले अगर उनके विवाह में दिक्कत आ रही हो तो , पांच मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाइये।
गृह कलेश , घर में अशांति हो तो पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से उत्तम लाभ मिलता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने की सम्पूर्ण विधि :
* पांच रुद्राक्ष सोमवार , ब्रह्स्पति , या शनिवार को ही धारण करना चाइये , सबसे पहले , कशी पत्र में गंगाजल डाल कर उसमे पांच मुखी रुद्राक्ष को पांच मिनट तक रखे और ‘ॐ नमः सिवाय ‘ मंत्र का उच्चारण करे।
* इसके बाद धुप जला कर पांच मुखी रुद्राक्ष को धुप के ऊपर रखे जिस से वह सुध मन जाता है। इसके बाद पांच मुखी रुद्राक्ष को ‘ॐ नमः सिवाय ‘ मंत्र जप कर धारण कर ले।
ऐसा करने से जीवन की साडी कठिनाई ख़तम हो जाती है।
तो दोस्तों ये थी पांच मुखी रुद्राक्ष के बारे में अहम् जानकारी , अगर आपको ये पोस्ट अछि लगी हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताये।
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25 thoughts on “Who can wear Panchmukhi Rudraksha? – प्राचीन पांच मुखी रुद्राक्ष का गुप्त रहस्य व विधि”
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