Sintex Industry : SEBI की एक नयी धारा के तहत कैसे निकाले डूबी हुई कंपनी में डूबा हुआ पैसा वापिस

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Sintex Industry news
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चेतावनी : किसी भी शेयर में पैसे लगाने के लिए आप खुद जिम्मेदार है , इस पोस्ट का आपके मकशद आपको नयी जानकारियों से अवगत करना है।

दोस्तों आज हम बात करने वाले है , करोड़पति  के सपने दिखने वाली सिंटेक्स कंपनी के बारे में।  जैसा की आपको पता है की कुछ साल से सिनटेक्सट कंपनी की वैश्विक हालत काफी ख़राब चल रही थी।  कंपनी घाटे में चल रही थी और लोग करोड़पति होने के सपने देख रहे थे।

तो आज दोस्तों हम कुछ टॉपिक्स पे बात करने वाले है जैसे की :

।  कंपनी की वैश्विक हालत के बारे में
2  कंपनी के देलिस्ट होने के बाद भी क्यों लोग शेयर खरीद रहे थे और क्यों सिनटेक्सट कंपनी के ऑपरेटर ये गेम खेल रहे थे।
3  क्या कंपनी देलिस्ट होने के बाद , आपका डूबा हुआ पैसा वापिस आएगा या नहीं।
4  अगर कंपनी के 95% शेयर पब्लिक के पास है तो क्यों कंपनी को कोई बेच सकता है।
5 अगर कंपनी के 95% शेयर पब्लिक के पास है तो पब्लिक को क्या करना चाइये , कैसे पब्लिक अपना पैसा वापिस ले। और कैसे आप पावर में आ सकते ही एक कानूनी तरीके से और कंपनी कैसे आपको पेनल्टी के साथ पाय करेगी

तो दोस्तों बिना देर किये एक एक करके सभी मुद्दों पे बात करते है। तो पोस्ट के साथ अंत तक बने रहे।

* कंपनी की वैश्विक हालत के बारे में :

दोस्तों , सिनटेक्सट इंडस्ट्री काफी समय से कंगाली से जूझ रही थी।  किसी ने सोच नहीं था की इतने बड़े ब्रांड की एक दिन ये हालत हो जाएगी।  वही सिनटेक्सट कंपनी जिनको हम बचपन से देखते आ रहे थे।  कंपनी के इंटरनल स्ट्रक्चर की वजह से और मार्किट में उनके कॉम्पिटिटर्स के चलते कंपनी के भरी भरकम लोन पे चल रही थी।  इतना सब होने के बाद भी लोगो का विश्वास काम नहीं हुआ और होता भी काम कैसे क्योंकि सिनटेक्सट कंपनी के बाद अब मार्किट इन्वेस्टर्स के अलावा था ही क्या।

इस समय 95% इन्वेस्टर का पैसा लगा हुआ था और 5% क्रेडिट कर्ताओ के पैसे लगे हुए थे।  कंपनी ने सोचा की देलिस्ट होने से पहले एक बड़ा हाइक दिया जाये इन्वेस्टर्स को , और कंपनी शेयर प्राइस में दिन बे दिन प्राइस बढ़ने लगी , ये बाद सिर्फ क्रेडिटर्स की जानते थे की टारगेट कहा  तक का है , और कुछ टारगेट यूट्यूब जैसे चैनेलो की अफवाओं के चलते शेयर का प्राइस बढ़ गया। इस बात से अनजान थे इन्वेस्टर्स , जो इन्वेस्टर्स समझदार थे उन्होंने इवेंट्स रिपोर्ट से कंपनी का सुच जान लिया और निकल गए लेकिन इंडिया में कुछ लोग ऐसे है जिनको जानकारी से कोई लेना देना नहीं बस ये सोच थी की प्राइस बढ़ेगा और उनको शेयर बस सस्ते में मिल जाये।

कंपनी का सबसे ऊपर का शेयर प्राइस क्या रहेगा ये सिर्फ क्रेडिटर्स ही जानते थे जो इस शेयर को चला रहे थे की कुछ माल कमाया जाये कंपनी के देलिस्ट होने से पहले पहले और कंपनी का शेयर २० रुपये तक गया।  एक बार देलिस्ट की न्यूज़ आयी थी फरवरी में तो लोगो ने शेयर को गिरना सुरु कर दिया और क्रेडिटर्स पहले ही निकल गए अब पब्लिक की होड़ लग गयी , जब शेयर 20 रुपये से गिरना सुरु हुआ तो 7 रुपये तक शेयर गिरा , खरीदने वाले गायब ही हो गए मानो , दिन में 5-6 लाख शेयर ही बिक पा रहे थे।  क्रेडिटर्स ाचा मुनाफा कमा के निकल लिए और आम पब्लिक फास गयी उस गंदे खेल में।

और अगर देखा जाये तो यही शेयर बाजार का सबसे बड़ा गेम होता है पब्लिक का पैसा लूटने का।  जिन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा किसी कंपनी को देलिस्ट होते देखा था और मुनाफा कमा चुके थे।  बस गए भोले भले लोग।  काफी बार कंपनी ने इवेंट्स में ये दिखाया साफ़ साफ़ की कंपनी के देलिस्ट पे काम चल रहा है , लेकिन लोगो ने उस पे ध्यान नहीं दिया।

* क्यों सिनटेक्सट कंपनी के ऑपरेटर ये गेम खेला :

जब भी कोई कंपनी देलिस्ट होने की कगार पे होती है तो कंपनी का ओनर ये सोचता है की लोगो का विश्वास उस पे रहे या न रहे पर क्रेडिटर्स कंपनी के देलिस्ट होने के बाद भी साथ रहे।  और क्रेडिटर्स साथ रहते भी है क्योंकि दोनों ही मिलके इस गंदे खेल को अंजाम देते है।  आम पब्लिक का क्या कल वो नई ब्रांड से मार्किट में आएंगे और कुछ मार्केटिंग करवाएंगे तो फिर भीड़ कड़ी हो जाएगी।  आमतौर पे कंपनी जब देलिस्ट होती है तो कंपनी सोचती है की कुछ मोटी रकम खर्चे पानी के निकल लिए जाये तो वो शेयर्स को एक कटी पतंग की तरह दौड़ाते है और काफी लोगो को लपेटे में ले जाते है और फिर खुद सारा पैसा निकल के गायब और पब्लिक हवा में लटक जाती है। और यही सिनटेक्सट इंडस्ट्री ने किया।  और खास तौर पे जब केवल और केवल अम्बानी किसी कंपनी को टेकओवर कर रहा हो तो मुमकिन ही नहीं कोई एक भी चिल्लर निकल के ले जा सके।

* क्या कंपनी देलिस्ट होने के बाद , आपका डूबा हुआ पैसा वापिस आएगा या नहीं :

तो जवाब है नहीं , पहले कभी किसी कंपनी ने कोई मुवावजा नहीं दिया क्योंकि शेयर में पैसा लगाने से पहले आपके ब्रोकरेज आप से एक पेपर साइन करवाते है की आप अपना पैसा अपनी जिम्मेदारी पे लगाएंगे।  और जब आप कोई क्लेम डालते हो तो आपके सेबी आपका वो साइन किया हुआ पेपर आपके सामने रख देती है जो ब्रोकरेज ने अपने साइन करवाया था।

लेकिन सेबी ने फिर भी इस विषय में कुछ संसोधन किये है , की किसी कंपनी के देलिस्ट होने पे कुछ तो चिल्लर पब्लिक की झोली में जाना चाइये , नहीं तो ये सरासर एक धोका है नागरिको के साथ।  और इस से कोई भी किसी कंपनी को कॉन्फिडेंस में नहीं लेगा।  और काफी कंपनी ने इस मुद्दे पे एक गुहार भी लगायी थी। तो बात आती है की कितने चिल्लर पब्लिक को दिए जाये  तो उस पे अभी कुछ अहम् फैसले नहीं हुए है क्योंकि आज तक कोई ये मुद्दा कोर्ट तक लेके ही नहीं गया।  क्योंकि पैसे डूबने के बाद पब्लिक अंदर से टूट जाती है। और  एक जुट होकर कोर्ट तक जाने को तैयार नहीं होते।

* अगर कंपनी के 95% शेयर पब्लिक के पास है तो क्यों कंपनी को कोई बेच सकता है :

एक तरीके से ये एक बड़ा घोटाला भी है और नहीं भी।  ये घोटाला इसलिए नहीं है की अपने ब्रोकर को पेपर साइन करके दे रखा है की मैं अपने पैसे का खुद जिम्मेदार रहुगा इन्वेस्टमेंट में।  और घोटाला इसलिए की जब कंपनी में 95% का हिस्सा पब्लिक का है तो पब्लिक की प्रॉपर्टी को बेचने वाला आखिर है कौन।  अब बेचने वाले वो सब है जिनको कुछ न कुछ मिलने वाला है और मिलकर सभी पावर वाले इस घोटाले को अंजाम देते है।  और ये घोटाला तब तक नहीं है जब तक कोई पब्लिक में से सामने आके नहीं बोले की जब कंपनी हमारी है तो आप बेच कैसे सकते हो।  तब इसका समाधान है और इसे एक घोटाला खा ही जायेगा। सेबी भी चाहती है की कोई आवाज़ उठाये। अगर कोई आवाज़ नहीं उठता तो समझो सब कुछ सही है। और कोई कार्यवाही भी नहीं की जा सकती कंपनी के मालिक पे।

* अगर कंपनी के 95% शेयर पब्लिक के पास है तो पब्लिक को क्या करना चाइये , कैसे पब्लिक अपना पैसा वापिस ले :

देखो दोस्तों पैसा  बहुत ही म्हणत से कमाया जाता है हम इस बात को भी अच्छे से समझते है।  जब कंपनी में 95% हिस्सेदारी आप लोगो की है तो कंपनी आपकी हुई न , मालिक की कैसे हुए।

अब बात आती है उसे साइन किये हुए पेपर की जो अपने सेबी को दिया ब्रोकरेज के जरिये की हम अपने पैसे के खुद जिम्मेदार है तो कंपनी जिसपे अपने पैसा लगाया है उसने भी एक पेपर पे लिख के सेबी को दिया हुआ है की जो इन्वेस्टर पैसा लगाएगा उसे कंपनी की मार्किट कैपिटल के अनुसार कंपनी का एक हिस्सेदार मन जायेगा।  तो कंपनी तो पकड़ी गयी अब , आपका साइन किया हुआ पेपर ही आपकी असली ताकत बनेगा अब, क्योंकि आप अपने साइन किये हुए पेपर पे खरे उतर रहे हो लेकिन कंपनी नहीं उतरी।  क्योंकि कोई सामने ही नहीं आया हिस्सेदारी मांगे वाला।

एक उदहारण के तौर पे देखो अगर आपके घर में आप दो भाई बहन हो और जमीं पर दोनों का हक़ है।  तो आप अपने भाई की जमीं हड़प सकते हो कानूनी तरीके से अगर वो उस जमीं पे अपना हक़ करने का दावा नहीं करता तो।  और आप बन जाते है उस जमीं के मालिक लेकिन अगर आपका भाई उस हिस्सेदारी का दावा लगा देता है तो फिर आपको जमीं भी देनी पड़ेगी और पेनेल्टी भी देनी पद सकती है माल हानि की।

अब आते है मुद्दे पे।  आप सभी को एक मत होना होगा या आपसे में एक ग्रुप बना के एक साथ , और एक अच्छे  से वकील से सलाह करके दावा ठोकना चाइये कंपनी के मालिक और ख़रीददार के खिलाफ।  भले की खरीदने वाला अम्बानी हो लेकिन कानून के सामने और सही मन्ये में सेबी के नियम के अनुसार उनको आपका पैसा देना होगा।  कंपनी देलिस्ट होने के 6 माह तक अगर कोई दावा कर देता है तो दावे की जवाब आने तक कंपनी देलिस्ट नहीं हो सकती।  अब भले ही आपके दावा करते ही वो आपको एक भरी भरकम रकम देकर आपको चुप कर दे ताकि मीडिया में खबर न जाए और कोई और दावा न करे।  अब जब आपको भरी भरकम रकम मिल गयी तो भाड़ में जाये जनता अपना काम बनता।

तो दोस्तों ये जो जानकारी है ये एक जागरूकता के लिए है।  अगर आपको कोई सलाह चाइये या कुछ सवालो के जवाब चाइये तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते है हम जवाब जरूर देते है।  और अगर आपको जानकारी अछि लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।  धन्यवाद्


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