रूस ने किया हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण, अमेरिका-चीन की बढ़ी चिंता

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नई दिल्ली- रूस के हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण करने के बाद विश्व की दूसरी महाशक्तियों की चिंता बढ़ गयी है । दरअसल रूस ने हाल ही में डोंबरावस्की एयरबेस से जिस एवनगार्ड हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया वो अभेद्य बताई जा रही है । जिसका मतलब है कि कोई भी मौजूदा एंटी बैलेस्टिक मिसाइल इसको रोकने में सक्षम नही होगी । चाहे फिर वो अमेरिका की थाड़ एंटी बैलेस्टिक मिसाइल हो या फिर रूस से चीन भारत सहित पूरी दुनिया को दी जा रही एस-400 एबीएम हो ।

रूस का दावा

आज दुनिया में कोई भी एंटी बैलेस्टिक मिसाइल इसे रोकने में सक्षम नही है । ये धरती के किसी भी कोने को एक घंटे के अंदर बेध सकती है । वैसे तो रूस के पास पहले से ही किंजल हाइपरसोनिक मिसाइल मौजूद पर इस परीक्षण के बाद रूस की दुश्मन को लक्ष्य बनाकर भेदने की शक्ति में कितना इजाफा हुआ है इस बात का अंदाजा अमेरिका के कमांडर जॉन हिटेन के बयान से लगाया जा सकता है । जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका की कोई भी मौजूदा सेटेलाइट या रड़ार इस मिसाइल का पता लगाने में सक्षम नही है ।लिहाजा आमेरिका को नये सिरे से तैयारी करनी होगी जिसमें काफी वक्त और पैसा खर्च होगा ।

रूसी राष्ट्रपति ने कहा

इस मिसाइल के परीक्षण को लेकर रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा कि ये परीक्षण हमारे अपने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए है । दराअसल हथियारों की होड़ पर वर्ल्ड लीडर कहे कुछ भी पर इस कदम से अमेरिका के साथ यूरोप और चीन के साथ ही पूरे विश्व की चिंता बढ गयी हैं ।

शीतयुद्ध जैसे हालात

इन सारी स्थितियों को देखकर लग ऐसा रहा है कि मानों एक बार शीतयुद्ध का दौर शुरू हो गया है। जिसमें गुटों में बटी दुनिया हथियार बनाने की होड़ में एक बार फिर लग गयी है। अगर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हुए शीतयुद्ध और आज की स्थितियों की तुलना करें तो वर्ल्ड ऑडर के मौजूदा हालात पिछली द्वीध्रुवीय दुनिया से इतर अब दुनिया तीन धड़ों में बटी है जिसका प्रतिनिधित्व भारत के हाथ है ।

गुटनिरपेक्ष भारत की ताकत बढ़ी

इसलिए भारत स्ट्रैटजिक लिहाज से उतना महत्वपूर्ण हुआ है जितना आजादी तक के अपने इतिहास में पहले कभी नही था । विश्व में एक नये गुट के उभार और आर्थिक समृद्धि के साथ ये कहना तो मुस्किल है कि हथियारों की होड़ में कमी आयेगी पर ये जरूर कहा जा सकता है कि अब हथियारों की प्रतिस्पर्धा केवल दो गुटों तक सीमित न रहकर विश्व के तीन गुटों में होगी जिसका प्रतिनिधित्व गुटनिरपेक्ष भारत कर रहा है ।


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