नई दिल्ली: विकसित और अमीर देश गरीब देशों पर या तो दया दिखाते हैं या उन्हें डंपिग ग्राउंड समझ लेते हैं। अमीर देशों का रवैया ठीक वैसा ही रहता है जैसे समाज में अमीरों का गरीबों या अपने से छोटों के साथ व्यवहार। यहां बात ब्रिटेन की हो रही है। जिसने बिन बताए भारी मात्रा में कचरा श्रीलंका भेज दिया। अब दो साल बाद श्रीलंका ने ब्रिटेन का कचरा ब्रिटेन को भेज दिया है।
श्रीलंका ने तकरीबन 45 कंटेनर भरकर ब्रिटेन का कचरा वापस भेजा। दरअसल, ब्रिटेन से आए कंटेनरों में रिसाइक्लिंग के लिए गद्दे, कालीन और स्प्रिंग बताए गए थे। लेकिन जब कस्टम अधिकारियों ने कंटेनरों की तलाशी ली तो उन्हें भारी मात्रा में कचरा भी मिला। जिस कचरे का दस्तावेजों में कोई जिक्र नहीं था। ब्रिटेन ने भारी मात्रा में सेहत और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला कूड़ा श्रीलंका भेजा।
डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के पर्यावरण से जुड़े विभाग के पास जब मामला पहुंचा तो संज्ञान लिया गया। पहले ब्रिटेन को 218 कंटेनर में कचरा भेजा गया, बाद में आखिरी खेप 45 कंटेनर में ब्रिटेन पहुंची। अब जहाजों के जरिए आने वाले रिसाइक्लिंग के कचरे पर श्रीलंका में कड़ी नजर रखी जा रही है।
ये पहली बार नहीं है जब विकसित और अमीर देशों द्वारा कारोबार, मदद या रिसाइक्लिंग के नाम पर खतरनाक कचरा गरीब देशों को भेजा गया है। दक्षिण पूर्व एशिया के कई देश विकसित देशों की वेस्ट डंपिंग का सामना कर चुके हैं। अमीर देश भले ही कितने ही विकसित हो जाएं। लेकिन सवाल ये है, उनके विकास की बुनियाद रखते समय जो कचरा निकला है वो गरीब देशों के मत्थे क्यों?
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