नई दिल्ली: कहा जाता है मरने के बाद भी अमर रहना है तो कुछ ऐसा काम करो की दुनिया तुम्हे याद करे। दुनिया दो तरह के लोगों को याद करती है एक महात्मा और एक तानाशाह। जाहिर है महात्मा का जिक्र तो महात्मा गांधी के नाम से ही होता है। लेकिन दुनिया में तानाशाहों की भी कमी नहीं रही। जिनके खौफनाक कदमों ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी। जो इतिहास के सबसे बड़े विलेन बन गए।

इराक पर दो दशक तक शासन करने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन की छवि मानवता के सबसे बड़े दुश्मन के तौर पर बनी हुई थी। 30 दिसंबर 2006 का दिन जब इस तानाशाह को फांसी पर चढ़ा दिया गया। इस दौरान इराक के लोग जश्न मना रहे थे जैसे वे किसी कैद से मुक्त हो गए हों। सद्दाम हुसैन अपने ही देश के एक तबके और दुनिया के कई देशों के लिए खूंखार तानाशाह था। सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल 1937 को बगदाद के तिकरित स्थित एक गांव में हुआ था। सद्दाम ने बगदाद में कानून की पढ़ाई की। 31 साल की उम्र में सद्दाम ने जनरल अहमद हसन अल-बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा जमा लिया। इसके बाद सद्दाम तेजी से आगे बढ़ा और 1979 में वह इराक का पांचवां राष्ट्रपति बन गया और जुलाई 1979 से अप्रैल 2003 तक दो दशक इराक की सत्ता पर काबिज रहा।
148 शियाओं की करवाई थी हत्या
सद्दाम ने सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद सबसे पहले शियाओं और कुर्दों के खिलाफ अभियान चलाया। वह अमेरिका का भी विरोध करता था। माना जाता है कि सद्दाम की सिक्योरिटी फोर्सेज ने इराक में करीब ढाई लाख लोगों को मौत के घाट उतारा था। इतना ही नहीं सद्दाम ने ईरान और कुवैत पर हमले करवाए जिनमें हजारों लोग मारे गए। 1982 में सद्दाम पर जानलेवा हमले की कोशिश हुई। इस हमले के बाद सद्दाम ने दुजैल में 148 शियाओं का कत्ल करवा दिया था। इराकी अदालत ने इसी नरसंहार के लिए 5 नवंबर 2006 को सद्दाम को दोषी ठहराया और फांसी पर चढ़ा दिया गया।
Saddam Hussain: खून से लिखी कुरान
सद्दाम हुसैन ने 1990 के दशक में अपने खून से कुरान लिखवाई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सद्दाम ने अल्लाह के लिए प्रति कृतज्ञता जताने के लिए अपना 27 लीटर खून देकर उसे स्याही के रूप में प्रयोग कर कुरान के सभी 114 अध्यायों को 605 पन्नों में लिखवाया था।
इन सभी 605 पन्नों को लोग देख सकें, इसके लिए इन्हें शीशे के केस में सजा कर रखा गया था। सद्दाम पर सनक इस कदर हावी थी कि एक बार एक अधिकारी के मुंह से सद्दाम के लिए अप्रिय बात निकल गई। फिर सद्दाम हुसैन ने अधिकारी और उसके बेटे को सजा ए मौत सुना दी। इतना ही नहीं अधिकारी के घर को जमींदोज करवाकर उसकी विधवा पत्नी और छोटे बच्चे को घर के बाहर फेंक दिया। लाखों लोगों को मौत के घाट उतारने वाले सद्दाम को अपनी जान इतनी प्यारी थी कि उसके खाने की जांच परमाणु वैज्ञानिक करते थे।
खाने की जांच उनके बावर्ची का बेटा भी करता था। सद्दाम जानता था कि बावर्ची उनके खाने में जहर नहीं मिलाएगा क्योंकि उसे सबसे पहले चखने वाला उसका बेटा ही है। सद्दाम के 20 महल थे और किसी में भी सद्दाम की एंट्री से पहले कड़ी जांच होती थी। खास तौर पर रेडिएशन जांच। सद्दाम एक दो तीन नहीं बल्कि 18 बॉडीगार्ड से घिरा रहता था।
साथ ही वह भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी जाने से बचता था। खुद को मौत से बचाने के लिए सद्दाम ने अपने बॉडी डबल यानी हमशक्ल बना रखे थे। लेकिन हमशक्लों की चाल से पता चल जाता था। अमेरिकी सेना ने कई बार सद्दाम हुसैन के हमशक्लों को पकड़ा। आखिरकार एक दिन असली सद्दाम हुसैन हाथ आ ही गया।
जब सद्दाम के बेटे ने मंडप में बैठी दुल्हन का किया रेप

जितना क्रूर सद्दाम था उतना ही क्रूर उसका बेटा उदय हुसैन था। उदय भी अपने पिता की तरह हमशक्लों का इस्तेमाल करता था। उदय अय्याशी के लिए भी जाना जाता था और अपनी सेफ्टी के लिए वह बॉडी डबल रखता था।
उसके एक हमशक्ल ने उदय की क्रूरता और अय्याशी पर कहा था कि उदय को जो भी लड़की पसंद आ जाती थी, उसे घर से उठवा लेता था। एक बार उदय एक शादी में गया था, जहां उसे दुल्हन पसंद आ गई. उदय ने उसके साथ सुहागरात मनाने की जिद की और उसे उठवा लिया।
उसने होटल में दुल्हन का रेप किया, जिससे आहत होकर दुल्हन ने होटल की छत से कूदकर सुसाइड कर लिया था। अमेरिका ने केमिकल वेपंस रखने का आरोप लगाते हुए साल 2003 में इराक पर हमला कर दिया था, इसी दौरान 22 जुलाई, 2003 को उदय अपने भाई समेत मारा गया था। वहीं, सद्दाम हुसैन को कैद कर लिया गया था, जिसे 30 दिसंबर, 2006 को फांसी पर लटका दिया गया था।
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