मैरिटल रेप दिल्ली HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, खंडित सुनवाई से निराश

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नई दिल्ली: मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की कवायद और तेज हो गई है। बीते दिनों दिल्ली हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने मामले पर सुनवाई की। अब सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के जजों के बंटे हुए फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

ये याचिका खुशबू सैफी ने दायर की है। सैफी पहली याचिकाकर्ता हैं जिन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सैफी ने जस्टिस राजीव शकधर के फैसले का समर्थन किया है और जस्टिस सी हरि शंकर के निर्णय को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी है। जस्टिस राजीव शकधर की अगुवाई वाली दिल्ली हाई कोर्ट के दो जजों वाली बेंच ने मैरिटल रेप के मामले में अलग-अलग फैसला सुनाया था।

मामले में जस्टिस राजीव शकधर का कहना था कि पत्नी की सहमति से जबरदस्ती संबंध बनाना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और इसलिए इसे रद्द किया जाता है। वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा कि वो इस मामले में जस्टिस शकधर के फ़ैसले से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि आईपीसी की धारा 375 का अपवाद 2 संविधान का उल्लंघन नहीं करता। बीते कुछ दिनों से मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाकर सख्त सजा के प्रावधान की मांग की जा रही है।


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