लखनऊ- गोमती नदी को प्रदूषित करने वालों पर NGT ने सख्त रूख अपनाया है और अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना लगाया गया है। NGT ने गोमती के प्रदूषण के लिए नगर निगम, जल निगम और राज्य सरकार के कई अन्य विभागों को जिम्मेदार मानते हुए इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। इसके साथ सरकार को 100 करोड़ का एक फंड बनाने की बात कही गई है।
NGT ने सख्त रूख अपनाया
दो साल के अंदर अगर गंदे नालों का पानी नदी में गिरना बंद नहीं हुआ तो इस राशि को जब्त कर लिया जाएगा। इस राशि का इस्तेमाल नदी के प्रदूषण को खत्म करने में किया जाएगा। प्रदूषण के चलते गोमती के पानी में कई जगहों पर ऑक्सीजन शून्य के स्तर पर पहुंच गया है और इसका जिम्मेदार यूपी सरकार के अधिकारियों को माना जा रहा है। इसलिए जिम्मेदार एजेंसियों को गोमती सफाई के लिए 100 करोड़ रुपए जमा करने की सिफारिश की गई है।
’70 साल में जो सरकार कुछ नहीं कर पाई’
बता दें कि ये सिफारिश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की अनुश्रवण समिति ने की है। प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय पर भी अनुश्रवण समिति ने सवाल उठाए हैं। मुख्य सचिव ने 26 अप्रैल को एनजीटी के सामने खुद ठोस अपशिष्ट और अस्पताली कचरा के प्रबंधन की जिम्मेदारी ली थी। समिति का कहना है कि 70 साल में जो सरकार कुछ नहीं कर पाई, अब अचानक इसकी जिम्मेदारी लेना चाहती है।
भारी हर्जाना होगा
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए यूपीपीसीबी पर 6.84 करोड़ का हर्जाना भरना होगा। नदी में कूड़ा गिराने के जिम्मेदार जल निगम पर तीन करोड़ और नगर निगम पर पांच करोड़ का पर्यावरणीय हर्जाना भरना होगा और साथ ही नदी को मैला करने के लिए 10 जिलों की नगर निगम, नगर पालिका पर भी एक-एक करोड़ रुपए का हर्जाना भुगतना पड़ेगा।